आंख तो आंख होती है , कभी यहां चलती है तो कभी वहां पर चलती जरूर है , मेरी poem ka शीर्षक आंख चल गई है
बीमारी भी सपना थी। ऐसी हुई। मेरी पहली लड़की से। मुलाकात थप्पड़। पड़ कर? हो गया? बुरा? हाल? इधर चली? उधर? चली। न जाने कहाँ को? चली? लड़की को? चली? तो? लड़का। फंसा। और लड़की की चले। तो भी फसा ही फंसा है? लड़का न चले। ए? आंक। न फंसे? हम। लड़के। न चले। आंक न फंसे? हम लड़के। थैंक यू।
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 1:38
आँख चल गई। बेहद? खूबसूरत। रचना। मन गदगद हो गया। आपने। 11 षण को अच्छे से पिरोया। घटनाक्रम चलता रहा। 1 थप्पड़ के बाद 1 थप्पड़ के बाद 1 थप्पड़ सनासन पड़ता रहा। बेहद? खूबसूरत। बात यह रही कि शुकर बेचारा सो रहा था। और नींद में थप्पड़ खा रहा था। ब*? बात तो बहुत सही। कही आपने। अब आँख है? चल गई? क्या? कर? सकते हैं? तो? लोगों से। गुजारिश है कि यदि किसी की आंख चल गई तो कृपया? हाथ? उठा के झन्नाटेदार? थप्पड़? रसीद? न करें।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:11
बहुत ही खूबसूरत थी। और पोयम का टाइटल उसके अंदर की कहानी को एक्सप्लेन कर रहा है। केंद्र की कहानी को बयां कर रहा है। बहुत ही अच्छा था कि पोस्टिंग लाइक दिस।