लेकिन मैं और वह अध्यापिका? वहीं के वहीं रहे। अब तो हमारे साथ उनका आना जाना भी प्रतिदिन न होता था। लेकिन दिन में 1 दूसरे को दूर दूर से आंखों ही आंखों में मिलना निश्चित अवश्य रहता था। समय व्यतीत होता गया और उनकी सेवा निवृत्ति हो गई। व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने 1 बार मुझे अपने मन के भाव प्रकट भी किए थे। कि वे चाहते हैं कि सेवा निवृत्ति के समय मैं उनके कार्यक्रम का मंच संचालन करूं। केवल विद्यालय में ही नहीं? अभी? तो उनके घर जाकर भी अंधा क्या? मांगे? 2? अंक? हे?
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 0:30
ऐसे शुभ कार्य के लिए ढेरों दुआएं देता हुआ महसूस करने लगा। आज भी घटनाक्रम बयान करते हुए मैं ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व को कोटी कोटी नमन करती हूँ। उस सर्वशक्तिमान को हार्दिक प्रणाम भी करती हूँ। जिसकी असीम कृपा से मुझे ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व के साथ कार्य करने का अवसर मिला। सच में ऐसे लम्हों को बार बार बंधन। व नमन। नमन। हरी नमन न नमन नमन धन्यवाद।
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:25
नमस्कार सखी। आपने आज जो यह भाव प्रकट किया और जो विलक्षण व्यक्तित्व के बारे में बताया वो बहुत बहुत सुंदर था। 1 दोहा है जिसकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी आज के इस व्यक्तव्य ने उस भाव को चेता कर दिया और बहुत सुन्दर भाव से आपने इसको प्रकट किया बहुत खूब।
Swell Team
@Swell · 0:15
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 0:23
लवली जी आपने बहुत ही अच्छा लिखा है। बहुत ही अच्छे से समझाया है। और जिस तरह से आपने शब्दों का चयन किया है वो बहुत ही सुंदर है। और आपको सोचने पर मजबूर भी कर देता है। तो इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आपका दिन शुभ हो नमस्कार?
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 0:12
थैंक यू सो मच मैं थैंक यू सो मच आपके शब्द मेरे अंदर जो है। वो 1। नई ऊर्जा का प्रवहन कर रहे हैं थैंक्स लौट थैंक्स अ लॉट
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 0:16
नमस्कार शिल्पी जी। आपने विलक्षण व्यक्तित्व के लिए जो अपने भाव प्रकट किए हैं, वो मेरे अंदर 1 अलग सी ऊर्जा का प्रवहन करेंगे। थैंक यू सो मच, थैंक्स अलॉट हैव? अ गुड डे मैम।