@urmi
Urmila Verma
@urmi · 2:05

मावठ

article image placeholderUploaded by @urmi
हृदय स्वयं जाता, हर बार। हृदय। सहम जाता। हर बार। जब कड़कती बिजली सांध्यकाल, जब कड़कती बिजली, सांध्यकाल, खस्ता पकोड़े। और गर्म चाय की प्याली। खस्ता। पकोड़े। और गर्म चाय की प्याली। रजाई में। दुबक कर। हमने। हम। सुनते रहे। राग भूपाली। रजाई में। दुबक कर। हम। सुनते रहे। राग भूपाली। धन्यवाद। आशा करती हूँ। आपको। ये कविता। पसंद आएगी।

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@Kushagraverma
Kushagra verma
@Kushagraverma · 0:56
मावट की बारिश हो चाहे सावन की बारिश हो। मुझे बारिश बहुत पसंद है। कभी भी। आजकल गर्म हो तो मुझे बारिश तो अच्छी लगती है। बारिश से पहले। जो मानसून ms hoti वो अच्छा नहीं लगता है। उससे बड़ी रिटेशन होती है। बाकी बारिश तो कभी भी हो जाए। और चाय की प्याली बस। और जो आपने कहा की बारिश तो सर्दियों में। और जो सर्द हवाएं हो जाती है। और माहौल हो जाता है। वो बहुत ही ज्यादा रोमांच बढ़ा देता है। कोई कोई सी भी जगह हो उन सबको।
@HemaSinha1978
Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 0:47
नमस्कार? उर्मिला। जी। आपका स्वैल सुनाज बहुत पसंद आया। मुझे आपने तो आज सही में चाय पकौड़े की याद भी दिला दी। जो आपने सर्दी के मौसम में होने वाली बारिश को चाय पकौड़ों के साथ सुंदर तरीके से दर्शाया है। बहुत पसंद आया। बहुत ही अच्छा लगा। आपके। वर्ड्स। बहुत अच्छे लगे। आपकी। कविता बहुत पसंद आई। मुझे। बहुत अच्छे तरीके से। आपने। सुनाई भी है। बोली है। शब्द बहुत अच्छे हैं। बहुत ही सुन्दर तरीके से। आपने दर्शाया है। आगे भी। आप अच्छे से अच्छा। ऐसे ही दर्शाते रहिये सुनाते रहिये धन्यवाद।
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