Sabi Sharma
@swenzaa67 · 2:39
"Ab pehele jese mahol na rahe "
फोन में इतने व्यस्त हैं। बोर होकर। लोग पहले बातें किया करते थे। अब देखा तो लोग फोन में ही लगे रहते थे। कुछ पल निकालो दोस्तों। और फिर से पहले सा। माहौल बनाओ। कुछ पल। फ़ोन से दूरी बनाकर। अनजान को अपना बनाओ। कुछ समय। सबके साथ। बिताओ। कुछ पल। सिर्फ। अपनों के साथ। हंसते। मुस्कराते। समय बिताओ। तो आशा करती हूँ। आप सभी को। मेरी यह कविता पसंद आई होगी। और आप भी। मुझे। जरूर। बताइएगा की।
Uchi. Uchita Galaiya
@Feather · 1:01
हेलो? साबी? 10। इस फैदर? अ वेरी, गुड। आफ्टर। आपकी। कविता। मैंने? हाल ही में सुनी। और काफी सुंदर कविता है। बिल्कुल। सही। कहा। आपने कि अब पहले जैसा माहौल नहीं रहा। सबको अपने से मतलब है। और सभी अपने फोन में व्यस्त हैं। और बिल्कुल ही कहीं न? कहीं सच बात है कि बदलते जमाने के साथ साथ लोगों का व्यक्तित्व भी बदल गया। अब वो मजा नहीं आता सफ़र करने का। पर। हालांकि अभी भी जो पुराने लोग हैं उनमें अभी भी वही पुरानी बांध हैं।
Sabi Sharma
@swenzaa67 · 0:38
हेलो? फेदर? थैंक? यू? सो? मच आपने कविता सुनी? और इतनी अच्छी? अच्छी बातें। मुझे? बताएँ? बिल्कुल? सही? कहा। आपने। कुछ पुराने लोग अभी भी हैं? जिनसे थोडी सी वो जर्नी वाली फीलिंग बची है। अगर उनके साथ हम गए और उनके साथ बैठे। तो वरना अभी के जनरेशन में। जो लोग हैं उनमें वो बात ही नहीं रही। बस सब अपने अपने फ़ोन में बिजी। और अपने अपने लाइफ में। किसी को किसी मतलब ही नहीं। तो? बस?
Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:05
और जादा तरफ। 1। अजीब सा सन्नाटा और एयर फोन ही नजर आता है। आपकी। कविता। बहुत अच्छी लगी। इसी तरह से कविताएं लिखते रहिये। और हम सबको सुनाते रहियेगा। आपका बैकग्राउंड म्यूजिक। और आपकी। आवाज भी। बहुत अच्छी है। थैंक यू।
Sabi Sharma
@swenzaa67 · 0:40
थैंक यू जागृति। आपने मेरा सवाल सुना। और मुझे बहुत अच्छा लगा की आपको मेरी ये कविता पसंद आई। जैसा की आपने कहा की। कोई भी सामूहिक कार्यक्रम हो? या कोई भी फंक्शन हो, कोई भी ट्रेवलिंग हो? या फिर कुछ भी हो। लोग आजकल अपने फ़ोन और एयर फोन में ही व्यस्त रहते हैं। बिल्कुल सही बात है। ये लोग इतने फ़ोन में घुस चुके हैं कि अपनों को समय नहीं दे पाते। न किसी से बातचीत करते हैं। ज्यादातर फोन में ही बिजी रहते हैं। बस इसी बात को मैंने अपनी कविता में दर्शाने की कोशिश की है। आशा करूंगी आप सभी को अच्छी लगी होगी।
Nikkeita Sharrma
@Natureadds · 2:58
हाई सबी बहुत ही खुबसूरत कविता लिखी है आपने बहुत सहजता से और सरलता से एक ऐसे टॉपिक को छेड़ा है आपने जिसे हम जानते हुए भी अंजान बने घूम रहे हैं हम जानते हैं कि हमारी लाइफ एक छोटे से डिवाइस ने कैफ कर लिए और अब हम चाहकर भी उसमेसे निकल नहीं पारें क्योंकि हमें ऐसा लग रहा है कि उसने हमें कैद किया है पर सचाई यह है कि हम खुद उसमेसे निकलना नहीं चाहते हैं शायद इसलिए क्योंकि हमारे अपने डर, insecurities, हमारा failure, कुछ चीजें जिसके पीछे हम चुप जाते हैं जिसमें हम अपने आपको चुपाते चले जा रहे हैं।
Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 1:21
हेलो साबी मैं, मैं हेवा सिनह बोल रही हूँ स्वेल्पर आपकी कविता सुनी आपने बहुत अच्छा विशय आज कल के जमाने के अनुसार चूस किया है कि अब पहले जैसा महुल न रहा लोगों के पास सही में वक्त अब रहा ही नहीं किसी से दो मिनट कड़े होकर बात भी करने का ये फोन ने सब क्या सुक्चैन चीन लि अब आपस में मिलना जुलने का वक्त कोई निकाली नहीं पाता वो पहले जासा महलप में कुछ भी ऐसा नहीं रहा और शायद रिष्टो में भी अब बहुत कम मिठास रह गई है क्योंकि लोगों के पास वक्ती नहीं है कि किसी के सुपदुक के लिए कोई अपना कीमती समय दे पहले जैसे अब बाती नहीं रही इस बात को आपने अपनी कविता के माध्यम से अपनी पंक्तियों के माध्यम से बहुत अच्छे तरीके से दर्शाया है बहुत अच्छी लगी आपकी ये कविता और content विशय भी आगे आशा करूंगी आप ऐसी अच्छे से अच्छा लिखती
Sabi Sharma
@swenzaa67 · 0:52
अपने मेरा स्वेल सुना और मुझे बहुत खुशी हुई कि आपको मेरे विचार पसंद आए। जैसा कि आपने कहा है कि हमें भी खुद अपने लिए समय निकालना चाहिए, कुछ वक्त फोन से दूरी बनाकर, आसपास के लोगों से भी connection बनाना चाहिए. हम खुद अगर कोशिश करेंगे तो साइध थोड़ी बहुत बद्धाव आ सके. बिल्कुल सही कहा आपने, और मैं ज बिल्कुल मैं अपनी जिन्दगी से कुछ समय फोन से दूरी बनाने की जरूर कोशिस करूँगे। आशा करूँगे आप सभी भी यही कोशिस करें। Thank you so much, ma'am
Sabi Sharma
@swenzaa67 · 0:53
हेलो हीमा मैं थांक्यू सू मच आपने मेरा सहल सुना और अपना पॉइंट ओव्यू रखा जैसा कि आपने कहा कि आजकल जमाना ऐसा हो गया है कि लोग फोन में इतने गुज गया हैं कि मिलने जुनने तक लोगों को समय नहीं है बस वोटसेब पे मेसेच कर दिया हो गया आजक अगर कहीं जाने का प्लैन करें तो कभी हो ही नहीं पता किसी को वक्त ही नहीं है कि किसे से कोई मिल पाए बस हाँ फोन पे मेसेज कर दिया वही काफी है हम सब अपने लाइफ में इतने बीजी हो चुके हैं फोन में इतने गुस चुके हैं कि हम अपनों के लिए ही समय नहीं नि बस यही चीज मैंने अपनी कविता के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने की कोईसिस की और मुझे अच्छा लगा कि आप सभी कोई कविता पसंद आई आशा करूँगी आप इसी तरह मुझे सुनती रहेंगी सपोर्ट करती रहेंगी थैंक्यू सो मज्
Pousali Das
@Pouz_Talk · 1:42
हाई? सभी गुड। इवनिंग। मुझे। आपका। यह स्पिल। बहुत ही अच्छी लगी। टॉपिक तो है ही। बहुत यूनिक और प्रैक्टिकल। आपने। इस पोइट्री के माध्यम से। बहुत ही प्रैक्टिकल तरीके से बताई। इस जमाने की जो बातें हैं। आपने एकदम ठीक कहा। हमारे इस जमाने में। सभी फोन पर लगे रहते हैं। कि बस में हो? कि ट्रेन में सफर कर? रे हो? कि घर पे हो? विद? फैमिली? कोई न कोई। फोन पर बिजी रहती ही है। आखिर? हो ही गए। ऐसे सिस्टम। बच्चे के लेके। बड़े तक ऑनलाइन ट्यूशंस होते हैं?