स्त्री की आज़ादी के नाम पर आज भी कितनी अजीब सोच है। कही पर आज़ादी के नाम पर संस्कार और मर्यादा किनारे रख दी जाती है ।और कहते है हम आज़ाद है, कुछ भी कर सकते है, तुमसे कोई मतलब?पर आजादी का मतलब ये भी नही
मैं और मेरी कलमजब मैं अपनी कलम से, लिखती दिल का हाल। लगता जैसे करती, खुद अपने से बात। संबंध ही है ऐसा, मैं और मेरी कलम का। सुख मे खुशी को बांटे, दुःख मे हिम्मत बढ़ावे। हम तुम मिलकर क्यू ना हौसला बढ़ाये, हर ल