#Poetry | Reading one of my poems...
बेटियां अनचाही कभी नहीं होती हैं। बेटियां भले ही लोगों की संकीर्ण विचारों को झेलती पलती बढ़ती है। बेटियां कम खाना, पिस्वाद खाना, किस्मत में लिखी उनकी और फटी पुरानी ड्रेस किताबें बस्ते। जबकि बेटों के लिए स्वादिष्ट खाना, नए कपड़े, कॉपी, किताब और बसते सब कुछ झेलकर भी आगे बढ़ती हैं। बेटियां परिवार का संबल बन जाती हैं बेटियां।