स्वर्ग के सभी साथियों को शुभ। संध्या। मेरा नमस्कार। पिछले। 23 दिनों से मैं काफी व्यस्त था। इस वजह से मैं अपनी कोई नई कविता आप लोगो के साथ साझा नहीं कर पाया। लेकिन अभी बहुत खुशी हुई की मैंने कुछ दिन पहले विपक्षन करके वापस लौटा था। और उसके बाद मैंने विपश्ना के 10 दिनों को दिमाग में रखते हुए। 1 छोटी सी कविता अपने कलम से लिखी थी। और फिर उसको मैंने विपसना के जो में सेंटर है। इगतपुरी मैंने वहाँ के प्रोफेसर, डॉक्टर पाठक उनको साझा किया था। इस आशय से की शायद।