कौन किस की मजबूरी है… बीजेपी की अजित पवार या अजित पवार की बीजेपी… मुख्यमंत्री बनने की चाहत में ही ये कदम उठाया है, अजित पवार ने…!/? चलिए जानते है!
ऐसे में जब अपनी ऑर्डर सुप्रीम कोर्ट दे रहा था। तब उसने कहा कि जो दीप बनाए गए थे नारवेकर के थ्रू वो ही गलत है। उनकी। और्डर उनको बनाया जाना ही गलत था। तो ये सारे तमाम बातें राहुल। नार्वेकर को। अब भी करनी। है। दोस्तों यहाँ पर। मैं ये कहानी आपको क्यों बता रहा हूं? ये कहानी इसलिए बता रही हूं। कि इसी कहानी में तमाम जड़ें हैं। जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी में जो भी देवेंद्र फडनवीस यहाँ पर मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
यहां तक कि दूसरे पक्ष के दूसरे पार्टी के दूसरे जात के लोग। जो मराठा नहीं है, मराठी नहीं है, महाराष्ट्र के वासी नहीं हैं, उनमें भी। उनकी छवि बहुत अच्छी हो गई। अब ये आने वाले चुनाव? चाहे वो बीएमसी के चुनाव हो, विधानसभा हो? या फिर लोकसभा हो, इन सब में ही भारतीय जनता पार्टी का नुकसान होता दिख रहा था। उनके खुद के अपने सर्वे में भी। और प्राइवेट सर्वे जो उन्होंने कराए थे, उसमें भी। यही कारण रहा कि अब भारतीय जनता पार्टी को लैबिलिटी लगने लग गए हैं। शिंदे। और उसका पर्याय के तौर पर।
तीसरी बात है भारतीय जनता पार्टी? और कैसा? मौका? मिल सकता है? अजीत पवार को स्प्रे करते है। वो यह है कि भारतीय जनता पार्टी का जो सर्वे था, जो विनोद तावडे ने किया था। उसमें उन्होंने 1 जिक्र किया था कि महाराष्ट्र में अब ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं चले? अब ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं चलेगा? तो हमारे करीबी? ऐसा कोई नेता हमें ढूंढना पड़ेगा? तो उसके लिए अजीत पवार? यह मराठा नेता है। और इस वक्त भारतीय जनता पार्टी को सबसे करीबी लगते हैं।