स्वेल के सभी साथियों को लवली प्रवीन का सादर नमन मित्रों। आज चौथे दिन में मेरे चौथी पंक्तियां। जो हैं वो प्रस्तुत हैं। ये पंक्तियां। मेरी अपनी लिखी हुई बुक, मेरी सोच में अंकित हैं। सुनिए, निरंतर, निश्चल, एवं निष्काम भाव से लिए गए नाम का घड़ा जब छलकने लगता है। तभी, ज्योति, लिंग तथा शक्ति पीठ स्थापित होने की परिस्थितियां पैदा होती हैं। शुभकामनाएं, हवा, गुड, डे, कल, फिर, मिलेंगे, बाई, बाई।