"देश की बेटियों की आवाज़"
कानून को बदलने की ख्वाहिश? कर रही है? कोर्ट? रूम की? तारीखें? नहीं? सख्त? कानून? उनकी मांग कर रही है? हां? वो सख्त? कानून की मांग कर रही हैं? ये दरिंदे? यह वान। अब ऐसा करने को सोचे भी। ना? देश की बेटियां। ऐसा माहौल मांग रही हैं? जी? हां? वो ऐसा माहौल मांग रही हैं? बिना डरे खुल के जीने का हक मांग रही हैं? जी? हां? बिना डरे खुल के जीने का? वो हक मांग रही हैं? अपना हक मांग रही हैं? धन्यवाद।
Jyotsana Rupam
@SPane23 · 1:45
जिसको जिसके पास जाने से लोग डरे और तभी जाके। कहीं? क्यूंकी? समाज और कानून? कुछ नहीं कर सकता? इंसान की जो सोच है वही जब तक नहीं बदलेगी न? और वो समझते हैं कि लड़कियां कमजोर है? लड़किया कमजोर है? कि इस गलत फैमी को कहीं न कहीं हमें दूर करना होगा? तो जैसे मैंने कहा कि में करोना? जैसा होना चाहिए। दिखने में। भले ही 1 मामूली सा लगे लेकिन जब छुए तो पता पता चले कि हमने किसको छुआ है? तभी? जाके। कहीं न?
Jagreeti sharma
@voicequeen · 0:52
दूसरी और न्याय व्यवस्था की बात करें तो कानून में भी बदलाव डालने की सख्त आ सकता है। आरोपियों और दरिंदों को ऐसी सजय देनी चाहिए जिससे कि कोई दूसरा उस सजा से गाते हुए ऐसा काम करने की सोचे भी ना आपने। बहुत अच्छी कविता। लिखी है। लिखते रहिएगा। धन्यवाद।
ROHIT RAJ
@Rohit_raj_0001 · 1:16
बहुत ही अच्छी कविता लिखी है। आपने। बहुत ही संवेदनशील विषय पर लिखा है। और मैं आपकी बात से सहमत हूं कि जब तक कानून को कठोर नहीं बनाया जाएगा? जब तक कठोर तरीके से लागू नहीं किया जाएगा? तब तक कुछ भी नहीं हो सकता। और जब तक मामले का राजनीतिक करण होता रहेगा ऐसे मामलों पर तब तब तक अपराधी बेलगाम घूमते रहेंगे। उन्हें किसी बात की चिंता नहीं रहेगी। और तब तक हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी। और ऐसे मामलों में देखिये। ऐसे मामलों में मानसिकता बदलनी भी जरूरी होती है कि लोग मानसिकता नहीं बदली है।