मैं अखबार मैं हूं आवास मंदिर के घंटियों की, मस्जिद की, अजान की, गुरबाणी के सबद की और चर्च में मुखरित होती इशू की, प्रार्थनाओं की, सुबह सवेरे अखबार की दस्तक सुबह सवेरे अखबार की दस्तक भरोसा देती अंधेरे के विरुद्ध नई संभावना की। हर घर प्रतीक्षारत होता। सुबह के अखबार की पृष्ठ दरपृष्ट खुलते जाते। हर घर में पन्ने अखबार के देश दुनिया की संपूर्ण जानकारी देने के साथ ही अपने शहर के चप्पे चप्पे से सबको रूबरू करवाता।