Neelam Singh
@NEELAM · 4:43
#Kahani "वो धंधे वाली" अन्तिम भाग
जो मुझे ताने देते हैं। गंदी? औरत कह कर? बुलाते हैं। पर मेरा मरना जीना। मेरी इज्जत इतनी जरूरी नहीं। जितने। मेरे परिवार की। भूख। तो सारी। बातें बुला कर। मैं ये सब करती हूं। उसकी सारी बातें सुनने के बाद। मुझे ऐसा लगा। जैसे वो कोई धंधे वाली नहीं। कोई देवी है। जहाँ आज के समय में लोग अपने माता पिता को रखने को राजी नहीं हैं। पत्नियां अपने ससुर? सुर? को रखने को तैयार नहीं हैं। उसके बाद?