06 Prerna (प्रेरणा)
ये वो जमाना था जब हम 1 पैसे या 1 रुपए में बहुत कुछ खरीद सकते थे बालक 1 रूपए की बात सुनकर बहुत खुश हो गया और कहा कि बाबू जी फिर तो मैं भीख मांगना ही बंद कर दूंगा विद्या सागर जी यह सुनकर बालक को 1 रुपया देकर आगे बढ़ ने अनेक वर्षों के बाद विद्या सागर जी उसी मांग से गुजर रहे थे तो 1 युवक में आकर उन्हें प्रणाम किया और कहा बाबू जी कृपया चल कर मेरी दुकान को पवित्र करे विद्या सागर जी को थोड़ा अटपटा लगा लेकिन वो युवक के साथ चल दी युवक ने विद्या सागर जी को फलों की 1 बड़ी सी दुकान के सामने लाकर खड़ा कर दिय और कहा बाबू जी यह दुकान आप ही की है आपको शायद याद हो कई वर्षों पहले आपने मुझे 1 पैसे के स्थान पर 1 रुपया दिया था और यह प्रेरणा भी दी थी कि मैं भी मामला छोड़कर कर्मरत होना सीखूं मैंने आपकी बात को ध्यान में रखकर उसी ₹1 से फलों का व्यवसाय शुरू कर दिया कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये की मैं इस व्यवसाय में उन्नति करता रहूं मुस्करा कर विद्या सागर जी ने आशीर्वाद दिया और वहाँ से चले गए आशा करती हूँ कि यह कहानी आपको पसंद आई होगी आइये देखते हैं कि इससे हमने क्या सीखा?
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 0:23
मेहनत करना। और अगर कोई हमारी मदद करे तो उसका आभार व्यक्त करना। बहुत ही अच्छी अच्छी सीख। आपने। इस कहानी में हमें बताई है। इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। आपका दिन शुभ रहे। थैंक यू नमस्ते।
Himanshi Thakur
@GreyMatter · 0:59
हेलो? गुड? मॉर्निंग। बहुत बहुत धन्यवाद। आपका कि आपने मुझे आमंत्रित किया और इतनी सुन्दर कहानी सुनाई। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि आप जितने भी हमारे लीडर्स हैं उनसे जुड़े हुए कहानी बताते हैं। जिससे कि 1 अवेयरनेस भी बढ़ती है। और सीख तो मिलती है। और मुझे ऐसा लगता है कि जैसे जैसे हम बड़े होते जाते हैं जीवन की साधारण सरल चीजों से हमारा नाता थोड़ा टूटता चला जाता है। ऐसे में आपका पॉडकास्ट 1 बहुत सुंदर रिमाइंडर है।