Chandni Baid
@moonie21 · 3:26
फिलहाल कहने को कोई अपना नहीं रहा !!
और सबसे आखिरी में मैंने लिखा है। कि कोई सम्मान से रिश्ता। कुछ पल का रिश्ता निभा ले। कोई सम्मान से रिश्ता। कुछ पल का ही रिश्ता निभा ले। वहीं। बस अपना सा लगता है। कोई स्वार्थ के इस दौर में अपना बना ले। वही। बस अपना सा लगता है। कोई स्वार्थ के इस दौर में अपना बना ले। वहीं। बस। अपना सा लगता है। फिलहाल कहने को।
Urmila Verma
@urmi · 1:45
चांदनी। आपकी। रचना। सुनी। फिलहाल। कहने को। कोई अपना नहीं रहा। भावपूर्ण? रचना है। आपने। बहुत छोटे छोटे उदाहरण दिए है। कविता के माध्यम से। कि इतना भी हमें मिल जाए। इस भाग। दौड़ की दुनिया में। इस स्वार्थ भरी दुनिया में। कोई। 2 प्यार के बोल? बोल ले। वही। अपने को। अपना सा लगता है। क्योंकि अपना पन तो बचा ही। कहां है? जो वास्तविक रिश्ते? वहाँ भी अपना पन नहीं है। स्वार्थ है?