मनीष श्रीवास्तव
@kahanibaaz · 2:44
Middle class family se hu..
उनको की। मैं अपने पीठ पे कितनी जिम्मेदारियां ले के चल रहा हूँ? बचपन में? टिफिन में? अचार? और पराठा खाया है? मैंने तरीके से? कपड़े नहीं? पहने? मैंने? मैं बस चाहता हूँ कि मैं अपने शौक पूरे कर लो। मेरा भी मन करता है। मैं भी। लोगों की तरह से जिंदगी। बिताऊं। अपनी जितनी जिम्मेदारियाँ हैं। उनको थोड़ा सा कम कर लो। मैं मजे की ही वजह है। मैं पैसे के पीछे भागता हूँ। मुझे भी। जिंदगी न। थोड़ा सुकून चाहिए? थोड़ा आराम चाहिए? ज्यादा? नहीं?
Janvi Writes
@theuntoldink_17 · 1:46
हेलो? मनीष आपने सही कहा कि हमारी जरूरत जो होती है। हमारे जो सिचुएशन। जो चल रहा होता है। उसको कोई समझता नहीं है। सब अपनी राय देने में? ओपिनियन सीने में, कमेंट्री करने में माहिर होते हैं। कोई ये देखने की कोशिश करता है कि हम किस सिचुएशन से पास कर रहे हैं? किस फीस से? हम गुजर रहे हैं? तो दुनिया का काम है कहना? वो? तो कहते ही रहेंगे? और हमारा जो काम है? हमारा जो रेस्पांसिबिलिटी है? वो तो हमें करना ही है? और पैसों के पीछे? जो। ये बात है। न?
Shivani Ganta
@Poem_world._03 · 1:30
और इतनी सारी? जिम्मेदारियों का? बोझ? 1 के बाद 1 और बढ़ती जाती है। वो दर्द? ना? कोई नहीं समझ सकता। हर कदम पे? खंजर? खड़े हो जाते। मिडिल क्लास फैमिली को सो। आपका? ये जो स्वेल था। सही में। बहुत ही बढ़िया था। थैंक यू।