Vivek Shukla
@JAISHREEKRISHNA · 2:19
श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 3 कर्म योग ,अज्ञानी और ज्ञानी के लक्षण
जो भी हो रहा है? यह भगवान की मर्जी से ही हो रहा है? है? ऐसा? मानना। ज्ञानी के लक्षण होते हैं। और आगे कहते हैं जो मनुष्य दोषदृष्टि से रहित और श्रद्धायुक्त होकर मेरे इस मत का सदा अनुचरण करते हैं वह सम्पूर्ण कर्मों से छूट जाते हैं। तो दोस्तों आज के लिए इतना ही। हम आपको जल्द मिलते हैं। अगली बार? जय? श्री कृष्ण आपका विवेक? शुक्ला।
Vipin Kamble
@Vipin0124 · 1:12
नमस्कार? विवेक जी। बेहद सुंदर। शब्दों द्वारा। आपने ज्ञानी और अज्ञानी के बीच के भेद को बताया। हम भंगुर? मात्र व्यक्ति मनुष्य। हम भूल जाते हैं कि हम सभी निमित्त मात्र हैं। जो भी कुछ हो रहा है, हमारे द्वारा करवाया जा रहा है। यह ईश्वर की इच्छा है किंतु हम जड़बुद्धि मनुष्य। हम ऐसा समझ बैठते हैं कि यह तो हम खुद ही कर रहे हैं। अज्ञानी हम अज्ञानी हैं। जैसा कि आपने कहा कि किसी भी प्रकार के कार्य को आशक्ति से विरक्त होकर अगर हम करते हैं? सद्भाव में तो वह ज्ञानी का लक्षण है? बेहद? सुंदर? उल्लेख। आपके द्वारा।