हाथ? पीले। जब बेटी के करूं? तो सरकारी अफसर के नाम करूँ। बेटी के जन्म से जोड़ना शुरू किया। और आखिर बेटी के नाम किया। दुनिया की हर खुशी। लुटाई। बेटी का अच्छा। घर। संसार। बसाया। जो चीजें स्वयं के लिए भी न ले पाए। वह भी अपनी बेटी को प्रदान कराई। समाज में। खूब नाम किया। 1 सफल पिता का रिश्ता। बखूबी। निभाया जीवन में। 1 मोड़ ऐसा आया कि कुछ बदलाव करने पड़े। ऐश? राम को पीछे कर बच्चों के लिए।
मेरा बहुत बहुत नमस्कार आपको। हमा। मैंने। आपकी कविता सुनी। बहुत अच्छी लगी। आपने। बहुत बहुत अहम। मुद्दा उठाया कि कैसे हम पिता जो हमारे लिए त्याग करते हैं उसे कई बार समझ पाते है? पिता बहुत मेहनत करते हैं। सारे। पिता बहुत मेहनत करते हैं ताकि वो अपने बच्चों को वो, सारी, खुशियां और ऐशो आराम दे सकें? जो सब बच्चे चाहते हैं। अच्छी शिक्षा दे। सकें? बहुत अच्छा लगा।