महर्षि वाल्मिकी को ये क्रांज बड़े प्यारे लग रहे थे। इतने में नर क्रौंच को निशात। क तीर? कहीं से आकर लगा। और वह गिरकर छटपटाने लगा। पति की यह दशा देख क्रौंच बड़े करूण स्वर में रोने लगी। क्रौंच मिथुन की यह दशा देखकर ऋषि का हृदय करुणा से भर गया। वे शोक सागर में डूब गए। उनके हृदय की करुणा 1 श्लोक में फूट पड़ी मा। निषाद। प्रतिष्ठां। तवमगममसाष्ट्वति समय। करुणा। मिथुनादि? कम। अवधि काम। मोहित। हे निशाद।
Anurag Chhabra
@AnuragChhabra · 2:10
इसलिए निकाली है कि आप अनुष्ठ छंदा में महाराज रामचंद्र के संपूर्ण चरित्र का वर्णन कीजिए। श्री राम की कथा संक्षेप में। आप। नारद जी से सुन ही चुके हैं। मेरे आशीर्वाद से राम, लक्ष्मण, सीता और राक्षसों का गुप्त? अथवा प्रत्यक्ष। सब वर्तांत। आपकी आँखों के सामने आ जाएगा। जो आगे होगा वह भी दिखाई पड़ेगा। अतः जो आप लिखेंगे, वह यथार्थ और सत्य होगा। इस प्रकार आपकी लिखी हुई। रामायण इस लोक में अमर हो जाएगी। इतना कहकर ब्रह्माजी? अंतरध्यान हो गए।