हेलो? फ्रेंड्स? आई होप? आप सब ठीक होंगे? आज मेरा विषय है। पर्वत मिनि प्रकृति? कितनी सुन्दर है? यह? आपको? मैं बदलना चाहती हूँ? जिसको हम पृथ्वी कहते हैं। पर्वत कहता? शीश? उठाकर? तुम भी ऊँचे बन जाओ? सागर कहता है? लहरा कर? मन में गहराई लाओ? समझ रहे हो? क्या? कहती है? उठ? उठ? गिर? गिर? तरल? तरंग? भर? लो? भर? लो? अपने दिल में। मीठी मीठी? मृदल? उमंग?
Prabha Iyer
@PSPV · 2:58
के आवे। सुखछोरीतूरानी। मैं लगी। मैं भूला। पर्वत कारे दुरानी। लगी। तेरे मेरे पार। पढेनाबेशलिखिपला की। गलनगरबनेरबागरबे। मेरे चोतरफेकेआगरवे मेरे गुरु। वगीरारुशिहोयाल ले, धंडबरागरविकडबरु से। इकलौता से, हि? क्यों कुंडी सौट से, तू प्रीत लगावे। गदेबतामिरभागकसता होता से। मैं समझ सकूं सारी पीड़ा देर। नैना की। क्यों भाग? बने? इस जीवन में? तुम खा ली। रैना की। मैं भोला। पर्वतकार पुरानी मेला की। देर। मेरे पास। पड़े ना बेशकल की, कला की। थैंक यू।