मैं? मुस्कुरा देता था। सर्दियों से। गर्मी आ गई। पर मोहब्बत की तपिश बढ़ती जा रही थी। उसका बद्द आने वाला था। और मैंने सोच लिया था। उसे। तोहफे में। कुछ दूंगा? तो? बस। झुमके। कॉल के बाद। 1 पार्ट टाइम? कॉल सेंटर वाली नौकरी कर ली। और पूरे 2 महीने लगे। ऐसे झुमके खरीदने में? जो उसके खूबसूरती के आगे टिक सके। मैंने उसके लिए। खद भी लिखा कि अगर मेरा बस चलता तो तुम्हारे लिए चांद। तोड़कर। बालिया बनवाता।
Nishant Sharma
@Rainlover · 0:25
तेरे करीब गुना हूँ तेरे बज्म में मुझ को हराम कुछ नही हु सरे बाजार में निलाम क्या लगाया मेरी वफा का दाम honr हु कोई निजाम अब कुछ भी नहीं कुछ भी नहीं।