फिर से आज। वो कहते हैं न तुम खूबसूरत हो क्यों की तुम स्पेशल हो? एट लीस्ट तुम उन स्टुपिड लड़कियों की तरह तो नहीं? जिनके पीछे मैं भागता रहता हूँ? प्यार तो मैंने कर लिया है? शायद दोबारा न हो, इस से समझौता सा मच करे तो फिर से गुलाबी हो जा तू अपने उस तस्वीर में। आसमानी बंद के सितारों की चादर धुप में। सुखा। तू तू बन के आफरीन मेरे शहर के बारिशों को थोड़ा और तरसाती है तेरी नाराजगी भरे। वो शब्द बोलिए तेरे जुबा से, उन सागरों को किनारों से मिलाता है? हाँ वो वाट्साप का साना। रेत के घरों को मुकद्दर टीला भी बनाता है।