ये ख्याल नहीं है? ये हकीकत ये जज्बात नहीं है ये अहसास जो तेरे ना होने पर हर दिन मुझे सवाल करता है और मैं मैं बस 1 ख्वाब बन के तुझे खुद से रूबरू कराता हूँ तुझे बना के 1 हिस्सा जिंदगी का तुझ पे शायरी फरमाता हूँ कभी आवाज़ बंद के तो सामने आती है कभी बंद के राप्ता ताबीर बन जाती है हो के फना तेरी आँखों में तुझे मेरा रहनुमा बनाता हूँ बस 1 ख्वाब बन के तुझे खुद से रुबरु कराता हूँ हर शाम तेरी बातें याद आती हैं वो हर कहानी किस से कुर बद फरमाती है?
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:30
ह**ो निशान? जी? बहुत खूब। बहुत खूब। बहुत खूब। बहुत अच्छी। शायरी। लिखी है। आपने। और इसकी मैं। जितनी तारीफ करूं उतनी क* है। मेरे पास। शायद इतने वर्ड्स ही नहीं है। आपकी। इस शायरी की तारीफ के लिए। बस 1 शेर कहना चाहूंगी? इसके जवाब में बदल जाते हैं। वक्त के साथ। लोग भी। किससे भी। यकीन मानिए हमारी जिंदगी के हिस्से भी रह जाती है। बस? यादे ही? कुछ टूटे हुए? वादे ही। और ना? मुक*्मल? हमारे इरादे ही।