माँ जी, मैं आपकी और पूरे परिवार की बेरुखी देख रही हूँ और बहुत परेशान हूँ। क्या यह सिर्फ मेरी ही संतान है? क्या इसके जन्म के लिए मात्र में ही उत्तरदाई हूं? आपके पुत्र का भी तो ये अंश है, जिसे मैंने 9 माह अपने कोख में पाला और पीड़ा सहकर इसको जन्म दिया। क्या ये सिर्फ मेरा ही कसूर है कि ये बेटी बन के आई? अम्मा जी, पूछिए तो अपने पुत्र से गर्भ में लिंग। निर्धारण के उत्तरदाई गुण सूत्र कौन से होते हैं। पुरुष भी उतना ही जिम्मेदार होता है जितनी स्त्री। परमात्मा ने जो भी दिया है, उसको हमें प्रेम से स्वीकार करना चाहिए।
aamna singh
@aamy · 1:46
नमस्कार नीताजी यह बहुत ही खूबसूरत कहानी आपने समझा कि मेरा यही मानना है कि बेटी से तो खुशियां घर आती है, घर में खुदा का वास होता है। तो जिस घर में बेटियां होती हैं वो घर बहुत खास होता है क्योंकि वहाँ खुदा का वास होता है। तो ये कुछ लाइनें मेरी 1 कविता से हैं क्योंकि कहते हैं न कि बेटियां जो है सकारात्मक, ऊर्जा, संवेदनशीलता, सामाजिक, जिसको सहभाग्यता कहते हैं वो लेकर आती हैं, प्रेरित करती हैं।