मैं दर, पे, तुम्हारी, आना, सकूँ? और रस्मी। महबत। तोड़ भी दूं इस दिल को? कहा ले जाऊं? मैं? जब दिल ही तुम्हारा हो जाए, गर तेरी हिनायत हो जाए। और तेरा इशारा हो जाए। हर मौज किनारा बन जाए। तूफान भी सहारा हो जाए। हर तेरी हिनायत हो जाए।
Nita Dani
@NitaDani555 · 0:20
हरियाणा जी आपको गजल पसंद आई। इसके लिए आपका बहुत बहुत थैंक्स। और कोशिश करुँगी की इसी तरह कंटिन्यू गाते रहूँ और कुछ न कुछ भेजता रहूँ। और आपको पसंद आए ऐसी भी उम्मीद रखती। हूँ थैंक यू।