नमस्कार। आज मैं जो कविता आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ, उसका शीर्षक है पत्ते लीफ हरी डाल पर खेलते पत्ते मन हरियाला करते पत्ते, हरी डाल पर खिलते पत्ते मन हरियाला करते पत्त शीतल छांव बिछाकर पथिक की ठनकर पथिक की थकान हर लेते पत्ते शीतल छांव बिछाकर पथिक की थकान, हर लेते पत्ते हिम्मत से लड़ते हर मौसम से हिम्मत से लड़ते, हर मौसम से सर्दी गर्मी हंस कर सहते पत्ते बसंत ऋतु में हर डाली पर रौनक लाते पत्ते कहती आंधी दूर उड़ाऊ कहती आंधी दूर उड़ाऊ शीष हिलाकर हंसते पत्ते रंग बिरंगे फल फूलों की महक से इठलाते बलखाते पत्ते पंछियों का मधुर गान सुन हर्षाते नाचते पत्ते सरसराती पवन की सरसराती पवन की मौन भाषा संग लहराते खिलखिलाते पत्ते प्रदूषित वायु का विष, पीकर दूषित वायु का विष, पीकर जग को शुद्ध वायु का अमृतपान कराते पत्ते पर हित में जीवन जीने का अद्भुत, सबक सिखाते पते पर हित में जीवन जीने का अद्भुत, सबक सिखाते पते धन्यवाद।
आपके द्वारा रची हुई यह कविता पत्ते, जो कि भारतीय परिवेश को और उसकी शादी को दिखाती है, उसे सुनकर मन प्रफुल्लित हो गया धन्यवाद।