ओस से लदे पत्तों ने जैसे हवा से नमी चुराई है, तपती जमी को कुछ पलों के लिए ही सही ठंडक पहुंचाई है हज़ारों रंग जो तितलियों ने समेटे हैं, जिन्हें देख फूल भी खिल उठते हैं और क्या मिसाल दूं तुझे ऐ दिल जब पानी का झरना चट्टानों को पिघला दे तो मेरे मन में तो समंदर है, आँखों में भरे मेरे ख्वाब क्या किसी झरने से कम है?