Shresth Arya
@Dreamer_Shresth · 2:10

Kaash hum fir bachhe ban jate

मैं श्रेष्ट बचपन के इस अहसास को अपनी कविता द्वारा उभारने की छोटी सी कोशिश करने जा रहा हूं। मेरे इस कविता का शीर्षक है काश। हम फिर बच्चे बन जाते। काश। हम फिर बच्चे बन जाते? तो लौट पाते। उस समय में? जहाँ क्या ही होते। दिन? और क्या ही होते रहते है। सबके चहीते। और दुलारे होते। हम। न कोई छल, न कोई। कपट। जानते है। सबके राज। दुलारे होते। हम। दादी। नानी की गोद में। सिर। रख कर सोया करते।

#Swellcast #poetsofswell #bachpan #youngerself

Prabha Iyer
@PSPV · 3:25

#backtogoodoldchildhooddays

उनके साथ? खेलते हैं। और ये जो छोटी? छोटी? नाराजगी? दोस्तों के साथ। दोस्तों के बीच। कोई रेस्पांसिबिलिटी नहीं है? कि मतलब इतना क*ाना है? और किसी को? किसी का मतलब। किसी के पास हाथ मांग कर पैसे मांगना है? या? कुछ खरीदना है? हम जो मांगेंगे? हमारे मम्मी? पापा? खरीद? देंगे? बस? मुंह? से? बोलो? की। ये चाहिए। और फिर दूसरे? क्षण? तुम्हारे? हाथ? पर? तो? वो जो जीवन है?

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