Adiba
@Vibes_11 · 4:55

Waqt badalta hai ya Hum badalte hain

देखते? देखते? कितने बड़े? हो गए? इतनी जल्दी? इतनी जल्दी? कि अपना बचपन? मिस? करने लगे? हम लोग। और पता नहीं? कब? से? इतने समझदार? इतने में? चोर? इतने प्रैक्टिकल? इतने रेस्पांसिबल? इतने केयरिंग? हो गए? कि? कुछ भी पता नहीं चलता? कि क्या हो रहा है? क्यों कर रहे हैं? लेकिन बस? अपने आप? और इन सब का? क्रेडिट? पता है? किसको जाता है? हमारे? वक्त को? क्योंकि ये जो वक्त है न?
Renu Mangtani
@Rainu · 1:35

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हम तो नहीं बदल सकते? ऐसा कहते? है न? हम? कि हम किसी का नेचर चेंज नहीं कर सकते? सो? आपका? जो? ये है न? हम बदलते हैं? इट को? रिलेट? टू? दैट? कि? हम किसी को चेंज नहीं कर सकते? किसी का नेचर नहीं चेंज कर सकते? है? फैक्ट? किसी को चेंज नहीं कर सकते। और हमें कभी करना भी नहीं चाहिए। बिकॉज? एवरीवन? इस जस्ट? गुड? इन? सेल्फ? एवरीवन? इस जस? ब्यटिफुल? सोल? सेल्फ? एंड?
Adiba
@Vibes_11 · 0:43

@Rainu

ye? hi renu? thank you so much on sagan tot ta? na? t? o? शायद ही समझते हो? अच्छा लगता है। चलो? कहीं? कहीं? मेरा कंसेप्ट क्लियर है? या। आप बहुत कॉंसेंट्रेट के सुन रहे हो? या। आपको। अच्छा लगा। अच्छा लगता है। मुझे भी कहीं न कहीं यही लगता है कि वक्त ऐसे सिचुएशंस ऐसे हालात होते हैं जो इंसान को बदल देते हैं? या फिर मजबूर कर देते हैं? या उसको बहुत कुछ सिखा देते हैं। सो डेफिनिटली। इंसान खुद से नहीं बदलता है। बहुत बार। उसके जो सिचुएशन होती है वही रीजन होती है। ऐसा मुझे लगता है।

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