श्रमिक की आँखों में आज भी प्रतीक्षा है, उस आजादी की, सपनीली बयार की, आजादी की, उस सपनीली हवा की, जो गांव, गांव तक पहुंच कर गरीब, मजदूर को, गरीब मजदूर के घर और उसके जीवन को बनाएं खुशहाल आइए हम सब करें, विचार और ऐसे संसार का, रचने का प्रयास करें, ऐसा शोभनीय संसार बनाएं, जहां हर समिट, हर मजदूर, हर गरीब को मिले, जीवन जीने का उचित, अवसर वातावरण और सम्मान धन्यवाद।