श्रमिक दूसरों के लिए सुंदर घर का निर्माण करते, दूसरों के लिए सुंदर घर का निर्माण करते, लेकिन अपनी अपने लिए मजबूत छत के निर्माण को जीवन भर तरसते श्रमिक महामारी की तालाबंदी में बोझ ढोते, कतारों में घरों को लौटते लाचार। श्मिट श्रमिक की आँखों में आज भी प्रतीक्षा है। उस आजादी की सपनीली बयार की, उस आजादी की सपनीली रौशनी की, जो गांव, गांव तक पहुंच कर गरीब, मजदूर के घर और जीवन को खुशहाल बनाए। आइए हम सब करें, विचार और बनाने का प्रयास करें।