जी दूसरों के उसूलों से मेरा कोई वास्ता ही नहीं। किसी की सोच से मुझे मतलब ही कहा मैं समा में खाक मिल जाऊँ। ये मरवत मंजूर है किसी की चौकट की हुजूरी करना नाराज मी मुझे समझते हैं अक्सर वो जो झटक के हाथ चलते हैं, सीने में दिल मेरे भी है, दरख्ता देख लेता है, जमाने ने बताया है, बेगानों में भी अपना कसम से दिल है, ये नादा हकीकत देख लेता है आज के लिए बस इतना ही नेक्टवे जल्दी मिलते हैं तब तक के लिए आप जहा रहिये, खुश रहिये, अपनों का ध्यान रखिये, नमस्कार।