Jaya Sharma
@jayasharma · 1:37
हेलो? सुएल? फैमिली में जया शर्मा? 1। लंबे अंतराल के बाद आपके सामने? उपस्थित हूं अपनी 1 नई कविता के साथ। जिसका शीर्षक है। औरत विविध रंगों को अपने में समेटे हुए। विविध रंगों को अपने में समेटे हुए। अलग अलग किरदारों को जीती हुई। मैं। कभी मैं उन्मुक्त खिलखिलाती, कुलाचे, मारती चंचल हिरनी। होती हूँ। कभी प्रेम के अहसासों से इठलाती बलखाती बहती हुई नदी होती हूँ। मैं। कभी जिम्मेदारियों का बोझ कांधे पर उठाए। 1। सहारा होती हूँ। मैं।

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