Jaya Sharma
@jayasharma · 4:07
कितने पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं? तो इन सब के कारण? मैं? कहीं? ऐसा तो नहीं है? लेकिन मनुष्य जो विकास डेवलपमेंट इतना कर रहा है मैं उसको भी थोड़ा बहुत दोषी मानती हूं। क्योंकि इसके कारण प्रकृति पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं? जानें अनजानें और मैं। मैंने। इसके ऊपर। 1 कविता लिखी है। बहुत ही शुभ। मन से। आप सुनिएगा। जिसका शीर्षक है विकास की राह में। प्रकृति का शोषण। सुनिएगा और तरक्की कर? तो मानो और तरक्की कर।

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Jagreeti sharma
@voicequeen · 0:58
हेलो नमस्कार? जय। मैम। आपकी कविता सुनिए। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। और आपने सही कहा है। मनुष्य जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है उससे कि परियर रन का संतुलन बिगड़ रहा है। और इसी के कारण विनाशकारी, बाद, भूकंप, सुनामी और समय, वर्षा आदि प्राकृतिक आपदाएं आ रही है। अतः हमें पर्यावरण संरक्षण की ओर भी ध्यान देना चाहिए। सबको पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करती हुई। आपकी कविता बहुत अच्छी लगी। आपने सच ही कहा है।
Urmila Verma
@urmi · 2:17
वातावरण को? जल को? वायु को? ध्वनी से। वातावरण को? उन सब का इम्पैक्ट हमारे जीवन पर आता है। प्रकृति? शब्द? होठतेहैप्रकृति? 1? झटके में। 1 ही क्षण में। बता? देती है कि इस विकास, यह जो विकास, मानव कर रहा है, उसका क्या? अंतत? क्या? परिणाम? हो सकता है? तो? मनुष्य को तरक्की जरूर करनी चाहिए? लेकिन उसकी इतनी बड़ी कीमत? नहीं? चुकानी चाहिए। आप। ऐसे ही लिखते। रहिये। बहुत सुंदर लिखती है। बहुत अच्छा लगा।

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