हेलो स्वेल फैमिली गुड आफ्टरनून कैसे हैं आप सब मैं जया शर्मा 1 बार पुनः उपस्थित हूँ आप सबके समक्ष अपनी 1 नई कविता के साथ, जिसका शीर्षक है स्वयं को पहचान नहीं है तो आम विश्वास जगह, विश्वास जगह नहीं है तू आम विश्वास जगह, विश्वास जगा हरपल है तू खास विश्वास जगा, विश्वास जगह, सृष्टा की तु परम संतान सृष्टा की तु परम, संतान विश्वास जगा, विश्वास जगह, तू शक्ति का दिव्य उजास, तू शक्ति का दिव्य उजास, विश्वास जगह, विश्वास जगह, तू साहस का अनुपम भंडार, तू साहस का अनुपम भंडार, विश्वास जगह, विश्वास जगह, मुसीबतों पर कर प्रहार मुसीबतों पर क कर प्रहार दुर्बलता को तू ठोकर मार, मुसीबतों पर कर प्रहार दुर्बलता को तू ठोकर मार समय की तु की मत पहचान समय की तू की मत पहचान निडरता की तू राह चल, निडरता की तू राह चल ईमान की तू पकड़ डगर, ईमान की तू पकड़ डगर लेकर, अपनों को साथ लेकर, अपनों को साथ है, ईश्वर तेरे साथ है, ईश्वर तेरे साथ, धीरज तेरा साथी, धीरज तेरा साथी, मंजिल मिल ही जाएगी, आज नहीं तो कल मंजिल मिल ही जाएगी, आज नहीं तो कल होगी रोशन दुनिया तेरी होगी रोशन दुनिया तेरी होगा दूर, अंधकार होगा दूर।