कुछ कहना हैं? जिंदगी में। सारी क्षमताओं को तोड़कर सीमाओं से बंद कर। क्यों? मिलने आती है? मुझे पता है? तुम्हारे जाने के बाद कुछ देर घास के मैदान तुम्हारे होने का एहसास दिलाते हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होता। सुबह की ठंडी। ओस भी। अब चंद घंटों में गायब हो जाए। बिल्कुल? वैसे ही जजबात हो गया। मेरी। कुछ दिन से पहले। मैं अक्सर अकेला बैठकर लिखता था। पर अब न जाने। मैं फिल्मों में भी बैठ कर लिखता हूँ। कुछ शब्दों और चंद पन्नो के साथ।